पुटाणों में योगदर्शन पातञ्जल योगदर्शन की भाँति पुराणों में भी योग का वर्णन प्राप्त होता है। पुराणों
पातञ्जल योगदर्शन की भाँति पुराणों में भी योग का वर्णन प्राप्त होता है। पुराणों में योग को कथाओं के माध्यम से तथा अनेक प्रसंगों पर योग वर्णन आने पर उसका विवरण किया गया है। पुराणों में योगके अलग भेद ही बताए गए हैं जिनका वर्णन योगदर्शन में प्राप्त नहीं होता या उनका अन्तर्भाव दूसरे भेदों में हो जाता है। जैसे योगदर्शन में अथंग प्राप्त है, उसी प्रकार पुराणों में अष्टांग के साथ षडंग भी प्राप्त होते हैं। पुराणों में योग के उचित तथा निषिद्ध स्थानों के बारे में भी बताया गया है।
राणों में लोकोपयोगी अनेक विद्याओं का वर्णन उपलब्ध होता है, जैसे- अश्वशास्त्र का ज्ञान, रत्नपरीक्षा का ज्ञान, वास्तुविद्या का ज्ञान, धनुर्विद्या का ज्ञान आदि। इसी प्रकार पुराणों में योगविद्या का भी वर्णन विस्तार से मिलता है।