छत्तीसगढ़ शासन पुरातत्त्व विभाग के तत्त्वावधान में सिरपुर में पाँच वर्षों से चल रहे उत्खनन-कार्य में विश्व की सबसे पुरानी वैदिक पाठशाला के अवशेष मिले हैं। पुरातत्त्व विभाग के प्रमुख सलाहकार अरुण कुमार शर्मा के निर्देशन में यह पाठशाला खोजी गई है। पांचवीं शताब्दी में निर्मित इस पाठशाला में 10 मीटर लंबाई व 15 मीटर चौड़ाई के कमरों के मध्य में विष्णु-प्रतिमा मिली है। इस कमरे में 60 विद्यार्थियों के पढ़ने की व्यवस्था थीयह भारत में खोजी गई सबसे प्राचीन पाठशाला है। यहाँ पर ग्रहण के लिए उपस्थित होता था, तब आचार्य उससे प्रश्न करता था- कस्य ब्रह्मचार्यसीति । भवत इत्युच्यमान इन्द्रस्य ब्रह्मचार्यस्यग्निरा-चार्यस्तवासाविति। अर्थात् तुम किसके ब्रह्मचारी हो? इस प्रश्न के उत्तर में विद्यार्थी कहता है कि आपका ही ब्रह्मचारी हूँ। तब आचार्य कहता है नहीं, तुम इन्द्र के ब्रह्मचारी हो, पहले अग्नि तुम्हारा आचार्य है, बाद में हम। फिर विद्यार्थी का दायाँ हाथ ग्रहण कर उसे शिष्य के रूप में स्वीकार करते हुए कहता है- मैं सविता की आज्ञा से तुम्हें शिष्य के रूप में स्वीकार कर रहा हूँ और तब विद्यार्थी के हृदय पर अपना हाथ रखकर आचार्य यह कहता है कि तुम्हारे और हमारे बीच सर्वदा प्रेम और विश्वास रहे। (हिरण्यकेशीगृह्यसूत्र 1.20.4)। किसी भी गुरु के पास अध्ययन करने